योगी सरकार द्वारा बसपा शासनकाल में कौड़ियों के भाव बेची गई 21 चीनी मिलों के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिये जाने से बसपा सुप्रीमो मायावती की दिक्कते बढ़ सकती हैं. मामले में सपा और बसपा की तरफ से योगी सरकार पर गलत भावना के साथ जांच कराने के आरोप लग रहे हैं. योगी सरकार ने मंगलवार को विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए सपा और बसपा पर जमकर निशाना साधा है.

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार की जांच के खिलाफ राजनीतिकरण का एक फैशन चल गया है. भाव अब नही तब गलत था, जब चीनी मिलों को औने-पौने दामो पर बेचा गया था. हमारी भावना स्पष्ट है कि हम किसी व्यक्ति के नहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करा रहे हैं. इसमें जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी, इसलिये बयानवीर जांच एजेन्सियों को सहयोग करें. न कि सरकार के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करे.

गौरतलब है कि 2010-11 मे मायावती सरकार पर सूबे की 11 बंद और 10 चालू चीनी मिल समेत 21 चीनी मिलों को औने-पौने दामो पर बेचने का आरोप है. ये चीनी मिलें 500 हेक्टेयर पर बनी थीं और तब इनकी कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपये थी. लेकिन आरोप है कि औने-पौने दामो पर बेच दिये जाने से प्रदेश सरकार को 1,179 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
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