उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर फीस नियंत्रण के लिए नया कानून तो बना लिया लेकिन नए एडमिशन पर ये कानून प्रभावी नहीं होगा. पता चला है कि सरकार ने नए एडमिशन को लेकर प्राइवेट स्कूलों को मनमानी चलाने की पूरी छूट दी है. वह नए छात्रों से कितनी भी फीस ले सकते हैं.
दरअसल यूपी स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क निर्धारण अध्यादेश 2018 पर चर्चा के लिए डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने निजी कॉलेजों के प्रबंधकों, प्रिंसिपल और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने इस अध्यादेश के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में सभी स्कूल प्रबंधकों और प्रिंसिपल्स को बताया. साथ ही उनकी तरफ से आए सवालों का भी जवाब दिया.
इस दौरान सभी कॉलेजों को 2016, 2017 और 2018 का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बताने के साथ यह भी अवगत कराया गया कि वह अधिकतम कितनी फीस बढ़ा सकते हैं. अध्यादेश के अनुसार फीस में वृद्धि सूचकांक में हुई वृद्धि में 5 फीसदी और जोड़कर की जानी है. मार्च 2018 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 4.28 प्रतिशत बढ़ा है. कहा गया कि इस हिसाब से स्कूल अधिकतम 9.28 प्रतिशत तक ही फीस बढ़ा सकते हैं.
मतलब, 2015-16 में अगर किसी कक्षा की फीस 1 हजार रुपए थी तो विभिन्न सत्रों में बढ़ते-बढ़ते वह अधिकतम इस साल 1223 रुपए तक हो सकती है. जिन स्कूल-कॉलेजों की सालाना फीस 20 हजार से अधिक है, वह इस अध्यादेश के दायरे में आएंगे. अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि अगर कॉलेज में किसी एक क्लास की फीस भी 20 हजार रुपए से अधिक है तो वह पूरा कॉलेज इसके दायरे में आएगा. जैसे अगर कहीं कक्षा 1 की फीस तो 10 हजार सालाना है लेकिन 8वीं की फीस 21 हजार रुपए तो कक्षा 1 की फीस भी इसी अध्यादेश में दी गई व्यवस्था के हिसाब से बढ़ेगी.
इसके अलावा एक अहम बात यह भी सामने आई कि स्कूलों को नए दाखिले में कितनी भी फीस छात्र से लेने का अधिकार होगा. ऐसा होने से अब एक ही क्लास में छात्रों की फीस अलग-अलग हो सकेगी. बैठक में यह भी बताया गया कि कॉलेज छात्रों से जो कॉशन मनी जमा कराते हैं, उसे लौटाते समय ब्याज भी देना होगा.
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