केन्द्र सरकार ने 15 जून को पदोन्नति में आरक्षण देने का आदेश जारी किया है, जिसमें राज्य सरकारों को भी पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए कहा गया है. उधर प्रमोशन में आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश की सियासत भी धीरे-धीरे गरमाने लगी है. मामले में खुद को आरक्षण हितैषी दर्शाते हुए बीजेपी ने समाजवादी पार्टी पर हमला किया है. बसपा पहले से ही आरक्षण के समर्थन में है. लेकिन समाजवादी पार्टी की तरफ से अभी तक इसको लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया है. उधर सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारियों में दो फाड़ देखने को मिल रहा है. प्रदेश में इस निर्णय के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
सियासत की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने इस संबंध में पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को घेरा है. एससी वित्त एवं विकास निगम अध्यक्ष लालजी निर्मल ने लखनऊ में प्रेस कॉफ्रेंस कर कहा कि पूर्व सीएम अखिलेश यादव साफ करें कि वह प्रमोशन में आरक्षण के समर्थक हैं या विरोधी? उन्होंने कहा कि यूपी के लाखों दलित कार्मिकों अखिलेश यादव की सरकार ने रिवर्ट किया था. ऐसे में सपा-बसपा गठबंधन नापाक नहीं है तो अखिलेश यादव अपनी स्थिति स्पष्ट करें. अगर वह प्रमोशन में आरक्षण के हिमायती हैं तो अपने पूर्व में उठाए गए कदम के लिए दलितों से माफी मांगें.
दिलचस्प ये है कि समाजवादी पार्टी ने अभी इस संबंध में कोई पक्ष नहीं पेश किया है. उधर प्रमोशन में आरक्षण को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती पहले से ही समर्थन दे रही हैं. उन्होंने पिछले दिनों मोदी सरकार पर जान-बूझकर प्रमोशन में आरक्षण न देने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार को दलित कार्मिकों को यह लाभ देना चाहिए. मायावती ने कहा कि एससी-एसटी वर्ग के सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा सही और संवैधानिक माना है. इसे लागू करने में जो जटिलता आई है, इस कारण यह व्यवस्था पूरे देश में खासकर यूपी में निष्प्रभावी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि इसके सही समाधान के लिए ही संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा से काफी संघर्ष के बाद पारित करवाया गया था, जो चार साल से लोकसभा में लंबित है. कांग्रेस के बाद मोदी सरकार भी इस मसले पर अपना जातिवादी रवैया छोड़ने को तैयार नहीं है.
बहरहाल प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश के लाखों राज्य कर्मचारियों में दो फाड़ देखने को मिल रही है. तमाम कर्मचारी संगठन पक्ष और विपक्ष में प्रदर्शन शुरू कर चुके हैं. इसी क्रम में लोकसभा में लम्बित पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन 117वाॅ बिल पास कराने व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-3(7) को 15 नवंबर 1997 से बहाल कराने को लेकर आरक्षण बचाओं संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने पैदल मार्च निकाला. समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जल्द ही पदोन्नति में आरक्षण का लाभ यूपी के दलित कार्मिकों को न दिया गया तो लाखों दलित कार्मिकों की एक आरक्षण बचाओ विशाल महारैली होगी. यही नहीं संघर्ष समिति ने पिछड़े वर्गाें के लिये प्रदेश में वर्ष 1978 में लागू पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को पुनः बहाल कराने की मांग उठाई.
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