उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती में पैसे लेकर पेपर हल कराने वाला गिरोह बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की नजरों से बचने के लिए एम-सील का इस्तेमाल करता था. पुलिस ने ना सिर्फ लगभग 50 ऐसे जालसाजों या नकलचियों को पकड़ा है, बल्कि इस प्रक्रिया में राज्य में चल रहे एक ऐसे संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो स्काई माइक या अन्य आधुनिक उपकरणों की मदद से हाई-टेक नकल कराता था.
उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के महानिरीक्षक अमिताभ यश ने कहा, 'अब तक एसटीएफ ने 39 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें मेरठ के वे 22 लोग शामिल हैं, जिन्हें मंगलवार को पकड़ा है.' इन गिरफ्तारियों के अलावा फैजाबाद और इलाहाबाद जिलों की पुलिस ने दस लोगों को पकड़ा.
बता दें, कांस्टेबल के 41 हजार 520 पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया सोमवार को राज्य के 56 जिलों के 860 परीक्षा केंद्रों पर शुरू हुई थी.
एसटीएफ प्रवक्ता के मुताबिक, कौशल पटेल को इलाहाबाद से पकड़ा गया है. उसने पूछताछ के दौरान कबूल किया है कि वह परीक्षा पास कराने के लिए आवेदकों से ठेका लिया करता था.
गिरफ्तार कौशल पटेल ने एसटीएफ को बताया, 'हम आवेदकों से कुछ एडवांस पैसा लेते थे. बाकी का पैसा पोस्ट डेटेड चेक के रूप में मिलता था. इसके अलावा हम आवेदक का असल पहचान पत्र एवं प्रवेश पत्र ले लिया करते थे. बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की नजर से बचने के लिए हम आवेदक के बाएं और दाहिने अंगूठों का निशान एम-सील पर ले लेते थे. इसे जिलेटिन कवर फिंगरटिप बनाने के लिए कोलकाता की प्रयोगशाला में भेजते थे. यही फिंगरटिप सॉल्वर पहनकर परीक्षा कक्ष में जाता था.'
जब पूछा गया कि क्या पहली बार ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, अमिताभ यश ने कहा कि पूर्व में भी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली को चकमा देने के प्रयास हुए हैं. लेकिन एसटीएफ ने ऐसे प्रयासों को विफल कर दिया. वहीं इलाहाबाद के एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि स्पाई माइक्रोफोन और सुनने वाली डिवाइस भी कल बरामद हुई है.
एसटीएफ ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. गिरफ्तार लोगों के पास से एम-सील के 20 पैकेट भी बरामद हुए हैं. इससे पहले इस साल बोर्ड परीक्षाओं में नकल माफियाओं पर लगाम कसने के लिए राज्य सरकार ने एसटीएफ और स्थानीय खुफिया इकाइयों की मदद ली थी.
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