समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा है कि वैसे तो बीजेपी के झूठे वादों से समाज के सभी वर्ग अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं लेकिन किसानों के प्रति बीजेपी का रवैया बहुत ही दुर्भावनापूर्ण है. उन्हें बुरी तरह छला गया है. भाजपा ने उनको पूरी तरह से बदहाल कर दिया है. ऐसे में उसके पास आत्महत्या करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं बचता हैं. उत्तर प्रदेश में चुनावों के वक्त किसानों की कर्जमाफी का वादा किया गया था. किसान की कर्जमाफी के नाम पर उसके साथ छलावा हुआ और अब बैंक उल्टे उससे जबरन वसूली करने लगे हैं. बैंकों से मिलकर राज्य सरकार ने ऐसा घालमेल किया है कि कर्जमाफी के नाम पर किसी किसान को 1 रूपए मिला तो किसी को 07 रूपये का चेक मिला. किसान की कहीं सुनवाई नहीं हुई.

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि गन्ना किसान, आलू किसान और गेंहू किसान सभी बीजेपी सरकार की नीतियों के शिकार बनकर कराह रहे हैं. गन्ना खेतों में खड़ा है. चीनी मिलें पर्चियां नहीं दे रही है. किसानों का पुराना भुगतान नहीं हो रहा है. 9429.19 रुपए करोड़ से ज्यादा मिलों पर किसानों का बकाया है. किसान के सामने मजबूरी में अपनी गन्ने की फसल खेत में जला देने के अलावा दूसरा चारा नहीं है. सरकार ने आलू किसानों को भी 549 रूपये कुंतल खरीद का आश्वासन दिया था पर वह भी उसका हवाई वादा ही साबित हुआ.

नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि सरकार के गेहूं क्रय केन्द्र बहुत जगह बंद हैं. गेंहू की सरकारी कीमत 1735 रूपए देने में क्रय केन्द्र ही आनाकानी करते हैं. क्रय केंद्र के अधिकारियों के मनमाने रवैये के कारण किसान बिचैलियों को अपनी फसल सस्ते दाम पर बेच रहा है.

सपा सरकार में वर्ष 2016-17 को किसान वर्ष घोषित करने के साथ बजट में 75 प्रतिशत धनराशि गांव-खेती के लिए रखी गई थी. किसान को मुफ्त सिंचाई की सुविधा दी थी. प्राकृतिक आपदा से राहत के साथ किसान को बीमा का लाभ दिया था. 50 हजार रूपए तक की कर्जमाफी के साथ उसकी बंधक भूमि की नीलामी पर रोक लगाई थी. बीजेपी सरकार ने आते ही किसान को उसके हाल पर निर्दयता के साथ छोड़ दिया है. वह गांव में चौपाल लगाकर हितैषी बनने का स्वांग कर रही है. प्रदेश का किसान इस किसान विरोधी बीजेपी सरकार को अब और ज्यादा सत्ता में बर्दाश्त करने वाला नहीं है.
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