सहारनपुर I सहारनपुर जिले के हौजखेड़ी गांव में रविदास मंदिर की तरफ बढ़ते हुए भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष कमल सिंह वालिया कहते हैं, "बाबा साहेब ने हमें सिखाया है कि जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती वह कभी तरक्की नहीं कर सकती." वह आगे कहते हैं, "20वीं सदी के दलितों और आज जिन दलित बच्चों को 21वीं सदी पर राज करने के लिए हम ट्रेन कर रहे हैं उनमें काफी अंतर है. कई सालों तक दलितों में आत्मविश्वास नहीं था. उन्हें बताया जाता था कि वह दूसरों से कम हैं लेकिन अब हम अपने बच्चों को सिखा रहे हैं कि उन्हें किसी से नहीं डरना चाहिए."
गांव के रविदास मंदिर में एक 25 साल का ग्रेजुएट बच्चों को उनका होमवर्क करने में मदद कर रहा है. यह एक 'भीम पाठशाला' है, पूरे उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी ऐसी 1000 पाठशालाओं का संचालन कर रही है.
सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी और बच्चों को उनके इतिहास से रूबरू कराने के लिए 2015 भीम पाठशालाएं शुरू की गईं. अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में स्कूल के बाद हर दिन बच्चे दो घंटे के लिए भीम पाठशाला आते हैं. यह पाठशाला किसी गांव में पेड़ की छांव में लगती है, तो किसी गांव में रविदास मंदिर के बरामदे में तो कभी कभी भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के घर पर लगती है.
वालिया बताते हैं, "भीम पाठशाला चलाने में हर करीब तीन हजार का खर्च आता है. यहां पढ़ाने वाले शिक्षक कोई फीस नहीं लेते हैं. भीम आर्मी का हर सदस्य अपनी क्षमता के अनुसार भीम पाठशाला की मदद करते हैं. ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं से उम्मीद की जाती है कि वे दिन में दो घंटे का वक्त निकालकर बच्चों को पढ़ाएं. स्कूल के लिए कुछ लोग महीने के 50 रुपये दे देते हैं तो कुछ 200 से 300 रुपये भी देते हैं. हर कोई अपने तरीके से पाठशाला की मदद करता है."
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