राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया ने कहा है कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम उसी तरह लिखा जाना चाहिए जैसा उन्होंने संविधान पर हस्ताक्षर किया है. बातचीत में उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने संविधान में 'डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर' के नाम से हस्ताक्षर किया था.
कठेरिया ने कहा, “यदि कोई अपील करता है कि देशभर में अंबेडकर के नाम के साथ रामजी लिखा जाए तो हम उस पर जरूर विचार करेंगे. मैं खुद सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखूंगा कि अंबेडकर के नाम के साथ रामजी लिखा जाए."
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में आदेश जारी किया है कि अंबेडकर के नाम के साथ रामजी लिखा जाए. हालांकि इस आदेश का काफी विरोध भी हुआ है. अंबेडकर के पोते प्रकाश और आनंद ने योगी सरकार के इस कदम को राजनीतिक बताया. न्यूज18 से बातचीत में प्रकाश ने कहा, "2019 से पहले बीजेपी अपना एजेंडा खड़ा करना चाहती है. हो सकता है कि चुनाव से पहले बीजेपी यह प्रचारित करने लग जाए कि अंबेडकर भी राम भक्त थे."
किया भगवा रंग का समर्थन
कठेरिया ने अंबेडकर की मूर्ति को भगवा रंग से रंगने का बचाव करते हुए कहा कि उनकी मूर्ति सिर्फ नीले रंग की नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, "मैंने और रंगों में भी उनकी मूर्तियां देखी हैं. मूर्ति का रंग भगवा भी हो सकता है. केवल मायावती के चाहने से बाबा साहेब की मूर्ति नीली ही नहीं रहेगी." दलितों की वर्तमान स्थिति के लिए कठेरिया ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है.
क्यों हो रहा विवाद?
उत्तर प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव जीतेन्द्र कुमार ने बताया कि राज्यपाल राम नाईक ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा था कि उनका नाम गलत लिखा जा रहा है. संविधान की आठवीं अनुसूची की मूल प्रति का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा था कि बाबा साहेब ने अपना नाम डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा है. लिहाजा इसे सही किया जाए. इसे देखते हुए ही अभिलेखों में उनका पूरा नाम लिखने का निर्देश दिया गया है.
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