2015 में अखिलेश सरकार में हुई पीसीएस भर्ती में सीबीआई की एफआईआर के बाद यूपीपीएससी के कई तत्कालीन अधिकारियों और चुने गए अभ्यर्थियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है. इस एफआईआर के बाद सियासत भी तेज हो गई है. बीजेपी ने जहां सीधे तौर पर अखिलेश यादव के संरक्षण में घोटाले का आरोप लगाया है. वहीं सपा ने बीजेपी सरकार पर युवाओं को नौकरी न दे पाने और मिली हुई नौकरियों पर सरकारी एजेंसियों से जांच का आरोप लगाया.

मामले में बीजेपी प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधते हैं. शलभ शलभ ने आरोप लगाया कि बगैर अखिलेश यादव के संरक्षण के ऐसा भर्ती घोटाला संभव नहीं है. उम्मीद है आगे गिरफ्तारियां भी होंगीं. उन्होंने कहा कि घोटाले में शामिल महापापियों की जल्द गिरफ्तारी होगी. इन्होंने गरीबों, मजलूमों, युवाओं का हक मारा है.

वहीं भर्ती घोटाले में सीधे अखिलेश पर बीजेपी के उंगली उठाने से सपा डिफेंसिव दिख रही है. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा बीजेपी सरकार नौकरी तो दे नहीं पा रही है और अखिलेश यादव की सरकार में जिनको नौकरी मिली उनकी जांच करवा रही है. सारी एजेंसियां बीजेपी की हैं इसलिए कुछ भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सीबीआई को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए.

दरअसल दो महीने की जांच के बाद आखिरकार शनिवार शाम सीबीआई ने 2015 की पीसीएस भर्ती में धोखाधड़ी, आपराधिक साज़िश,भ्रष्टाचार की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली. इस एफआईआर में साफ लिखा है कि प्राथमिक जांच में भर्ती प्रक्रिया में खामी मिली हैं. भर्ती प्रक्रिया में मॉडरेशन, स्केलिंग,पेपर लीक, इंटरव्यू, जाति, धर्म,क्षेत्र के आधार पर शिकायतें मिली थीं.


इन शिकायतों के आधार पर जुलाई 2017 में योगी सरकार ने अखिलेश सरकार में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच कराने की केंद्र सरकार से संस्तुति की थी. 21 नवंबर 2017 को केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच पर मुहर लगाई और 24 जनवरी को सीबीआई ने जांच के लिए लखनऊ में पीई(प्राथमिक जांच) दर्ज कर जांच शुरू कर दी. बीते तीन महीनों में सीबीआई ने यूपी लोक सेवा आयोग से भर्ती की डिटेल जुटाकर कई चयनित और आरोप लगाने वाले अभ्यर्थियों से पूछताछ की. इस दौरान आयोग ने सीबीआई जांच रुकवाने की पूरी कोशिश की लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी आयोग को कोई राहत नहीं मिली. जिसके बाद सीबीआई ने शनिवार देर शाम एफआईआर दर्ज कर ली.
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