गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद कैराना लोकसभा और नुरपुर विधानसभा उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में नामांकन की प्रकिया शुरू होने के साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती की अभी तक की चुप्पी का रहस्य गहराता जा रहा है. गोरखपुर और फूलपुर की तरह इस उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो ने अभी अपनी रणनीति को जगजाहिर नहीं किया है.
गौरतलब है बसपा सुप्रीमो मायावती अपने तुरुप के पत्ते अंत में खोलती हैं. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में भी उन्होंने अंतिम क्षण में अपने कार्यकर्ताओं को सपा के पक्ष में वोट डालने का निर्देश दिया था. लेकिन कैराना और नुरपुर उपचुनाव में पूर्व सीएम मायावती फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. बसपा प्रमुख की चुप्पी पर सवाल उठ रहा है कि अगर बसपा सुप्रीमो कोई निर्देश नहीं देती हैं तो उनका कार्यकर्ता किसके साथ जाएगा?
हालांकि समाजवादी पार्टी का मानना है कि पिछले उपचुनावों की तरह ही पिछड़ा और दलित की एका दिखेगी.
समाजवादी पार्टी के नेता रामआसरे विश्वकर्मा का कहना है कि गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव की तरह बसपा के लोग समाजवादी पार्टी के साथ खड़े दिखाई देंगे.
उल्लेखनीय है कैराना लोकसभा चुनाव में बीजेपी के धाकड़ नेता रहे हुकुम सिंह को 2,36,828 वोटों से जीत मिली थी. भाजपा को कुल 5,65,909 वोट मिले थे. जबकि समाजवादी पार्टी को 3,29,081 वोट मिला था और तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी रही थी, जिसे 160414 वोट मिले थे. नुरपुर में बीजेपी को 12736 वोटों से जीत मिली थी. बीजेपी को कुल 79172, सपा को 66436 और बीएसपी तीसरे नंबर पर रही थी, जिसे 45902 वोट मिले थे.
गोरखपुर और फुलपुर में मात खा चुकी बीजेपी उपचुनाव को लेकर गंभीर है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी महामंत्री विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि बीजेपी का फोकस रणनीति पर है ना कि कौन साथ आ रहा है और कौन अलग जा रहा है.
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