बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा दिए बिना ही केन्द्र सरकार के 10 महत्वपूर्ण विभागों के अनुभव और योग्यता के आधार पर ‘संयुक्त सचिव’ स्तर के पदों पर नियुक्ति के निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
मायावती ने एक बयान में कहा कि केन्द्र में संयुक्त सचिव का पद राज्यों में सचिव पद के बराबर होता है. केन्द्र के 10 विभागों में अनुभव और योग्यता के आधार पर संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर बाहरी व्यक्ति को यूपीएससी की स्वीकृति के बगैर बैठाना सरकारी व्यवस्था का मजाक ही कहा जाएगा. केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार गलत परम्परा की शुरुआत कर रही है.
उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार की प्रशासनिक विफलता का परिणाम लगता है. यह एक ख़तरनाक प्रवृति भी है और केन्द्र में नीति निर्धारण के मामले में बड़े-बड़े पूंजीपतियों तथा धन्नासेठों के प्रभाव को इससे और भी ज्यादा बढ़ावा मिलने की आशंका है. मूल प्रश्न यह है कि केन्द्र सरकार किसी भी विभाग में विशेषज्ञों को तैयार करने में अपने आपको असमर्थ क्यों पा रही है?
गौरतलब है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कई समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन में कहा कि उसे 10 विशेषज्ञों की आवश्यकता है जिन्हें राजस्व, वित्तीय सेवाओं, आर्थिक मामलों, कृषि, सहकारिता, कृषक कल्याण, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, नवीन एवं अक्षय ऊर्जा, नागर उड्डयन और वित्त के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल हो.
सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि केन्द्र सरकार प्रतिभाशाली नागरिकों को संयुक्त सचिव स्तर पर कार्य करके राष्ट्र निर्माण में योगदान के इच्छुक लोगों को आमंत्रित कर रही है।
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