गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में कम वोटिंग प्रतिशत की वजह से हार का सामना कर चुकी बीजेपी ने इस बार कैराना लोकसभा उपचुनाव में ओबीसी का मंत्र फूंक दिया है. दरअसल, कैराना में सैनी, कश्यप, पाल, प्रजापति समेत अन्य पिछड़ी जातियों के करीब पांच लाख वोट हैं, जिसे लेकर बीजेपी ने गोलबंदी शुरू कर दी है. ओबीसी मतदाताओं को बूथ तक ले जाने के लिए बिरादरी के नेताओं समेत अन्य दिग्गज लोगों की ड्यूटी लगा दी गई है.
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कैराना लोकसभा सीट बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन चुकी है. कैराना लोकसभा सीट पर कमल खिलाने के लिए बेताब बीजेपी हर पैंतरे को आजमा रही है. चूंकि कैराना के चुनावी रण में ओबीसी वोट बैंक अहम भूमिका निभाएगा. यही वजह है कि बीजेपी हाईकमान ने पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट का प्रतिशत बढ़ाने के लिए गांवों व नगरीय निकायों पर फोकस करने का फरमान जारी किया है.
सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने ओबीसी और ईबीसी (एक्सट्रीम बैकवर्ड कास्ट) के वोट के लिए हर गांव व नगरीय निकायों में दिग्गज नेताओं की डयूटी लगाई है. इनमें बिरादरीवार नेताओं व संगठन के लोगों को निरंतर भेजा जा रहा है.
उल्लेखनीय है 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में बीजेपी की आंधी चली थी. यही वजह थी कि कैराना लोकसभा सीट पर सांसद हुकम सिंह लाखों वोटों के अंतर से जीते थे, लेकिन उनके निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर सपा समर्थित रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन मैदान में हैं. माना जा रहा है कि गठबंधन प्रत्याशी भी कमजोर नहीं है. तबस्सुम हसन बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह को कड़ी टक्कर देती दिख रही हैं.
16 लाख से अधिक मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
कैराना सीट के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां 16 लाख 9 हजार 580 मतदाता हैं. कैराना लोकसभा सीट पर दलित, मुस्लिम, गुर्जर व जाट के साथ ही ओबीसी और ईबीसी के करीब पांच लाख वोट हैं. इनमें सैनी व कश्यप मतदाताओं की संख्या एक-एक लाख से अधिक है. वहीं, प्रजापति, लुहार, दर्जी, पाल, विश्वकर्मा समेत विभिन्न बिरादरी की अच्छी खासी वोट है.माना जाता है कि यह वोट बैंक बीजेपी की ओर रहता है.
सूत्रों का कहना है कि इस बार बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह के सामने गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन कांटे की टक्कर में हैं, लेकिन मुस्लिम दलितों के साथ ही ओबीसी और ईबीसी वोट बैंक की चुप्पी भी चौंकाने वाले परिणाम दे सकती है. चुनाव में दंगा, पलायन व हिंदुत्व के बूते मैदान में डटी बीजेपी का टारगेट ओबीसी और ईबीसी वोट का मतदान प्रतिशत बढ़ाना है.
रमजान की वजह से मुस्लिम वोट पर पड़ सकता है असर
रमजान के माह में पांच लाख मुस्लिम वोट बैंक पर असर पड़ सकता है तो करीब तीन लाख दलित बिरादरी में काफी लोग भट्टों के साथ ही बाहरी प्रदेशों में काम करते हैं. ऐसे में मतदान के दौरान वोट प्रतिशत हार-जीत तय करने में महत्वपूर्ण होगा. कुल मिलाकर यदि बीजेपी अपने मंसूबे में कामयाब रही तो ओबीसी और ईबीसी की गोलबंदी का फार्मूला गुल खिला सकता है.
ओबीसी व ईबीसी बाहुल्य गांवों व कस्बों का वोट फीसद बढ़ाने पर जोर
शामली जिले की 10 निकायों व सैकड़ों गांवों के साथ ही नकुड़ व गंगोह विधानसभा में बड़े नेताओं के कार्यक्रमों के साथ संगठन की ओर से नियुक्त पन्ना प्रमुख, बूथ प्रभारी व विधायक, सांसद व मंत्री अंदरखाने मजबूती से लग चुके हैं. हाईकमान ने विशेष आदेश जारी करते हुए ओबीसी और ईबीसी बाहुल्य गांवों व कस्बों का वोट फीसद बढ़वाने पर जोर दिया है. ओबीसी और ईबीसी वोट प्रतिशत बढ़ा तो कमल मजबूत होगा. दूसरी ओर सपा-रालोद का टारगेट दलित मुस्लिम वोट प्रतिशत को बढ़ाना है.
कैराना सीट पर अनुमानित जातिगत समीकरण-
मुस्लिम: 5 लाख 20 हजार
दलित: दो लाख 70 हजार
कश्यप: एक लाख 22 हजार
सैनी: एक लाख 17 हजार
जाट: एक लाख 30 हजार
गुर्जर: एक लाख 24 हजार
पाल: 50 हजार
प्रजापति: 40 हजार
ठाकुर: 60 हजार
ब्राह्मण: 62 हजार
वैश्य: 61 हजार
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