दलित आंदोलन के नाम पर भड़की हिंसा में उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया. लेकिन आंदोलन के नाम पर हिंसा की स्क्रिप्ट सियासी गलियारों में लिखी गई थी. इस बात का खुलासा पुलिसिया जांच में अब हो रहा है. दंगे के बाद पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है. वैसे-वेसे चेहरे बेनकाब हो रहे हैं. जो पिछली सरकारों में खास रसूख रखते थे, लेकिन अब इन सफेदपोशों के चेहरे पर दंगे की कालिख पूत गई है. दलित वोट बैंक को फिर से पार्टी के पक्ष में करने के चक्कर में इन लोगों ने माहौल खराब करने की साजिश रच डाली. फिलहाल पुलिस अब ऐसे लोगों पर कार्रवाई का शिकंजा कस रही है.
2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान दलित आंदोलन में भड़की हिंसा पर एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि दलित आंदोलन के नाम पर हुई हिंसा सुनियोजित साजिश थी. उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर और हापुड़ में बसपा नेताओं ने राजनीतिक फायदे के लिए आंदोलन के दौरान हिंसा को भड़काया. एडीजी ने कहा कि साजिशकर्ताओं को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें जेल भेजा जाएगा.
बातचीत में एडीजी ने कहा कि अभी जांच चल रही है. अभी हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. लेकिन ये जरुर है कि कुछ साजिश की बात सामने आ रही है. आंदोलन के दौरान सुनियोजित ढंग से लोगों को भड़काने का काम किया गया है. अभी साक्ष्यों का संकलन किया जा रहा है. उसका विश्लेषण भी किया जा रहा. जब सभी चीजें छन कर सामने आएंगी तभी कहा जा सकता है. लेकिन ये जरुर है कि मेरठ, मुजफ्फरनगर और हापुड़ में जो हिंसा हुई उसमें एक पार्टी विशेष का संबंध है. लेकिन ये साजिश स्थानीय स्तर से थी या पार्टी के स्तर से इसका परीक्षण अभी किया जाना है.
मामले गिरफ़्तारी पर एडीजी ने बताया कि मेरठ के पूर्व बसपा विधायक योगेश वर्मा को गिरफ्तार किया गया है. हापुड़ में पूर्व विधायक के लड़के मोनू को गिरफ्तार किया गया है. वहीं मुजफ्फरनगर में बसपा के जिलाध्यक्ष की गिरफ्तारी की गई है.
मेरठ जोन में पुलिस जांच में अब तक 500 से ज्यादा लोग सामने आ चुके हैं, जिन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया है. इसी के साथ साजिश करने वालों पर लगातार मुकदमा भी दर्ज किए जा रहे हैं. लेकिन खास बात यह है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश ही इस साजिश का केंद्र रहा.
तो क्या केवल दलित राजनीति को लेकर दंगे की साजिश रची गई? लोगों को गलत बातें बताकर भड़काया गया और उन्हें हिंसा के लिए इस्तेमाल किया गया. पुलिस भी मान रही है कि दंगा केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए और एक पार्टी विशेष का वोट बैंक संगठित करने के लिए किया गया. लेकिन इस हिंसा की साजिश पार्टी के शीर्ष नेताओं रची? इस बात पर कहने से पुलिस के अधिकारी बचते नजर आ रहे हैं. वहीं पुलिस मानती है कि बसपा के जिला स्तर के नेताओं ने इस दंगे को भड़काने का काम किया है. जिन पर कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है.
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