यूपी में एक बार फिर राजनीतिक समीकरण बैठाने का दौर शुरू हो गया है. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की चाल के आगे पटखनी खाकर चित्त होने वाला विपक्ष विधान परिषद चुनावों के लिए गणित साधने में जुट गया है.

यूपी विधान परिषद की 13 सीटें खाली होने जा रही हैं. जिनमें सबसे बड़ा नाम समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का है. इसके अलावा सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी विधान परिषद से रिटायर हो रहे हैं. सपा पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी 13 रिक्त हो रही सीटों में से एक हैं.

संख्याबल के हिसाब से समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस मिलकर दो प्रत्याशी जीता सकते हैं. ऐसे में सवाल ये है कि समाजवादी पार्टी किसको विधान परिषद भेजेगी. क्या पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद विधान परिषद जाएंगे या फिर पटेलों में संदेश देने के लिए अपने प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को विधान परिषद भेजेंगे? विधान परिषद के लिए अखिलेश यादव के साथ साए की तरह नजर आने वाले राजेंद्र चौधरी की दावेदारी भी हल्की नहीं है.

अखिलेश यादव के पास बसपा से बातचीत के बाद कुल 2 सीटों का विकल्प है. लेकिन राज्यसभा में बसपा प्रत्याशी के हारने के बाद अखिलेश यादव पर मनोवैज्ञानिक दबाव है कि वह दूसरी सीट खुद-ब-खुद मायावती को दे दें. हालांकि अभी इस बारे में कोई बातचीत नहीं हो पाई है.


राजनीति के जानकार मानते हैं कि राज्यसभा में नौवीं सीट पर बसपा प्रत्याशी को मिली हार की भरपाई समाजवादी पार्टी विधान परिषद में बसपा को एक सीट देकर कर सकती है. हालांकि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा कि बसपा समाजवादी पार्टी के सहारे किसको विधान परिषद भेजेगी. वैसे राजनीतिक पंडित मानते हैं कि राज्यसभा में भीमराव अंबेडकर को हार का सामना करना पड़ा था, तो समाजवादी पार्टी भीमराव अंबेडकर को विधान परिषद में भेजने का मसौदा दे सकती है.

फिलहाल चुनाव के नामांकन और मतदान में भी समय है. लेकिन रिश्तों की मिठास को बढ़ाने के लिए सपा, बसपा को विधान परिषद का गिफ्ट दे सकती है. ताकि 2019 का रिश्ता और ज्यादा मजबूत हो जाए.

संख्याबल के हिसाब से समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस मिलकर दो प्रत्याशी जीता सकते हैं. अखिलेश यादव के पास बसपा से बातचीत के बाद कुल 2 सीटों का विकल्प है लेकिन राज्यसभा में बसपा प्रत्याशी के हारने के बाद अखिलेश यादव पर मनोवैज्ञानिक दबाव है कि वह दूसरी सीट खुद-ब-खुद मायावती को दे दें.
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