एअर इंडिया प्राइवेटाइजेशन डील को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी शनिवार को केंद्र सरकार पर जमकर बरसे. सरकारी विमानन कंपनी की तुलना परिवार की पुश्तैनी चांदी से करते हुए स्वामी ने लिखा कि इसे बेचना विनिवेश नहीं कहलाता है.

स्वामी ने लिखा कि उन्हें आशंका है कि एअर इंडिया की प्रस्तावित सेल में बड़ा घोटाला होने वाला है.

स्वामी ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि वह एअर इंडिया निजीकरण डील का बारीकी से अध्ययन करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें इस डील में किसी भी प्रकार के घोटाले का शक हुआ तो वह शिकायत दर्ज करेंगे और मामला कोर्ट तक ले जाएंगे.


डील को लेकर चिंता जाहिर करने वाले स्वामी इकलौते नहीं हैं. त्रिणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी डील को लेकर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा, “मुझे मीडिया में यह पढ़कर दुख हुआ कि सरकार ने एअर इंडिया को बेचने के लिए एक्स्प्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किए हैं, एअर इंडिया हमारे देश की शान है.”

ममता ने आगे कहा, “हम इसका विरोध करते हैं और चाहते हैं इस ऑर्डर को तुरंत खारिज किया जाए. इस सरकार को देश बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.”

कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने भी सरकार के इस कदम पर आश्चर्य व्यक्त किया है. सरकार एअर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी लेकिन कंपनी के कर्ज का 52 प्रतिशत खुद चुकाएगी. क्या यह प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश नहीं है?

सरकार ने एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी और इसका मैनेजमेंट प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर करने का फैसला किया है. इस प्रक्रिया में मैनेजमेंट या कर्मचारी सीधे बोली लगा सकते हैं. इस प्रोसेस में इन्हें एक कंर्सोटियम (ग्रुप) बनाना होगा. इसके बाद ही ये इसमें हिस्सा ले पाएंगे. जून 2017 में, आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने एयरलाइन के डिसइन्‍वेस्‍टमेंट के लिए मंजूरी दी थी. कंपनी पर 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. निर्णय के बाद, विशिष्ट मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली एयर इंडिया विशिष्ट वैकल्पिक तंत्र (एआईएसएएम) की स्थापना की गई थी.
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